मथुरा, आगरा और नोएडा में बाढ़ से हाहाकार, लोग पलायन को मजबूर
![]() |
मथुरा मंदिरों में बाढ़ का पानी |
उत्तर भारत में हो रही लगातार बारिश और हरियाणा स्थित हथिनी कुंड एवं ओखला बैराज से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी ने यमुना नदी के जलस्तर को अचानक ख़तनाक स्टार तक बढ़ा दिया है| इस बाढ़ का असर सबसे ज्यादा मथुरा, आगरा और नोएडा में देखने को मिल रहा है|
मथुरा में यमुना ने बदला रास्ता ( Today News Agra )
मंगलवार को हथिनी कुंड बैराज से 39045 क्यूसेक पानी और ओखला बैराज से 89223 क्यूसेक पानी छोड़ा गया| इसके बाद यमुना नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और नदी ने अपना मूल रस्ता छोड़कर करीब 2 किलोमीटर दूर बहना शुरू कर दिया|
. मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे तक जाने वाली सड़क 3 जगहों पर डूब चुकी है|
. जयरामपुरा और यमुना खादर के 200 से ज्यादा परिवार सुरक्षित स्थानों पर शिप्ट हो गए है|
. कई गांवों में लोग ट्रैक्टर और बुग्गी पर बाइक-कार लड़कर ले जाते दिखे|
स्कूलों में छुटियां प्रशासन से कोई राहत नहीं
गांव के किनारे स्थित परिषदीय प्राथमिक स्कूल में चार फीट तक पानी भर गया| पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई और बच्चों की छुट्टियां घोषित कर दी गई| हालांकि, स्कूल का स्टाफ और शिक्षक अब भी स्कूल जा रहे है ताकि जरूरी दस्तावेज सुरक्षित रखें जा सकें| जब गांव के निवासी रामेश्वर से पूछा गया कि क्या यहां नाव चल रही है, तो उन्होंने बताया कि सरकारी नाव की कोई व्यवस्था नहीं है| कुछ ग्रामीणों के पास अपनी छोटी नावें है और उन्ही के सहारे लोगों को मदद मिल रही है| इससे साफ है कि प्रशासनिक स्तर पर राहत इंतजाम बेहद कमजोर है|
डूब चुकी शेरगढ़ रोड के हालात
मथुरा में शेरगढ़ रोड भी डूब चुकी है| यहां पानी ढाई फीट तक भर गया है| लोग बाइक और कार को ट्रैक्टर व बग्गियों पर रखकर ले जा रहे है| ट्रैक्टर चालक 50 रूपये लेकर लोगों और वाहनों को पार करा रहे हैं| बढ़ते हादसों के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने इस मार्ग को बंद कर दिया है|
नोएडा में 100 झुग्गियां डूबी ( उत्तर प्रदेश बाढ़ समाचार )
नोएडा की स्थिति भी गंभीर हो गई है| सेक्टर - 168 स्थित यमुना खादर इलाके में पानी घुसने से करीब 100 झुग्गियां जलमग्न हो गई| पांच सौ से ज्यादा लोग बेघर होकर सुरक्षित ठिकानों पर चले गए है| झुगिवासियों का कहना है कि उन्हें प्रशासन से कोई राहत सामग्री नहीं मिल रही और वे खुद ही संघर्ष कर रहे हैं|
आगरा का हाल - ताजमहल तक पहुंचा पानी
आगरा में तो हालात और ज्यादा खतरनाक हो गए है| यमुना का पानी ताजमहल की बाउंड्री तक पहुंच गया है| ताजमहल के पीछे दशहरा घट की सीढ़ियां डूब चुकी है और पानी वहां के टीले तक पहुंच गया है| हालात बिगड़ने के बाद CISF ने अपनी चौकी शिफ्ट कर दी है| दशहरा घाट पर लोगों को रोकने के लिए रस्सियां बांध दी गई हैं|
आगरा के श्मशान घाट और मंदिर जलमग्न
बल्केश्वर का पार्वती घाट भी पूरी तरह पानी में डूब गया है| यहां स्थित काली भैरव मंदिर का प्लेटफार्म और रेलिंग पानी में समा चुके है| पूजा-पाठ पूरी तरह बंद हो गया है| हाथी घाट और कैलाश मंदिर घाट की सीढ़ियां भी जलमग्न हो गई है| प्रशासन ने यहां बैरिकेडिंग कर दी है ताकि लोग नदी की ओर न जाएं|
प्रशासन की चुनौतियां और लोगों की नाराजगी
आगरा, मथुरा नोएडा - तीनों ही जगहों पर लोग प्रशासन की धीमी रफ्तार से नाराज है| ग्रामीणों का कहना है कि अब तक न तो नाव की व्यवस्था की गई है और न ही खाने-पीने का इंतजाम| लोग खुद ट्रैक्टर और नावों का इंतजाम करके जान बचने को मजबूर हैं|
विशेषज्ञों की चेतावनी ( Agra News Today )
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले 48 घंटों तक बैराज से पानी छोड़ा जाता रहा तो हालात और बिगड़ सकते है| नदी का जलस्तर और ऊपर जा सकता है, जिससे और गांव डूबने की आशंका है| यहां तक कि दिल्ली-आगरा मार्ग भी प्रभावित हो सकता है|
प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
फिलहाल प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है| SDRF और NDRF की टीमें तैनात कर दी गई है| लेकिन बाढ़ प्रभावित लोगों का आरोप है कि जमीनी स्तर पर राहत कार्य बेहद धीमे है और उन्हें पूरी तरह खुद पर निर्भर रहना पड़ रहा है|
मथुरा-आगरा में सैकड़ों एकड़ फसल चौपट
यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से मथुरा, आगरा और आसपास के जिलों में किसानों पर सबसे बड़ा संकट आ पड़ा है| बाढ़ के पानी ने न केवल गांवों और घरों को डुबोया है, बल्कि खेतों में खड़ी फसल को भी पूरी तरह बर्बाद कर दिया है|
घन और बाजरे की फसल जलमग्न
मथुरा जिले के खेतों में इस समय धान और बाजरे की फसल खड़ी थी| जिन किसानों ने समय रहते रोपाई की थी, उनकी मेहनत पानी में समा गई| खेतों में तीन से चार फीट तक पानी भरा हुआ है| धान की नाजुक पौध बाढ़ के दबाव में झुक गई और जड़ों तक पानी भरने से सड़ने लगी है|
किसानों का दर्द - "पूरी साल की मेहनत बेकार"
मथुरा के गांव के किसान रामेश्वर कहते है,
"हमने जुलाई में धान लगाया था| अब पौध काटने लायक हो रही थी, लेकिन पूरा खेत डूब गया| सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही, बस नाव तक नहीं भेजी गई|"
इसी तरह पास के गांवों में बाजरे और मक्का की फसल भी चौपट हो चुकी है| कई किसानों ने बताया कि खेतों में अब सिर्फ पानी ही पानी दिख रहा है, फसल कहीं दिखाई नदी देती|
सैकड़ों एक्स फसल का नुकसान
1. मथुरा क्षेत्र में 200 से ज्यादा एकड़ धान बर्बाद हो गया|
2. सौंख और नौहझील इलाके में सैकड़ों बीघा बाजरा और मक्का पूरी तरह डूब चुकी है|
3. आगरा के बाह और पिनाहट इलाके में गन्ने और सब्जियों की फसल को भी बढ़ा नुकसान पहुंचा है|
आर्थिक संकट गहराया
किसानों का कहना है कि इस बार की बरसात उनके लिए बर्बादी लेकर आई है| जिनके धान और मक्का बेचकर पर का खर्च निकलना था, वे अब कर्ज के बोझ तले दबने लगे है| खेती से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बाढ़ से करोड़ों रूपये की फसल का नुकसान हो चुका है|
सरकार से मदद की आस
किसानों की सबसे बड़ी शिकायत है कि अभी तक प्रशासन ने को सर्वे नहीं कराया| खेतों में पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गई और न ही मुआवजे का ऐलान हुआ| किनके पास नाव थी, वहीं लोग दूसरों की मदद कर रहे है|