ताजमहल में श्रीराम लिखा बैग ले जाने पर बवाल - CISF ने रोक प्रवेश

आगरा ताजमहल श्रीराम बैग विवाद 


आगरा के विश्वप्रसिद्ध स्मारक ताजमहल में सोमवार को एक अजीबोगरीब घटना सामने आई| कानपुर निवासी आशीष कुमार कथावाचक आपने परिवार और दोस्तों के साथ ताजमहल घूमने पहुंचे| लेकिन गेट पर सुरक्षा जांच के दौरान CISF जवानों ने उनके बैग को रोक लिया| वजह यह थी कि उनके बैग पर "श्री राम" लिखा हुआ था| 

सुरक्षा कर्मियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक किसी भी तरह का धार्मिक प्रचार-प्रसार करने वाली चीजें ताजमहल के अंदर ले जाना सख्त मना है| इसी वजह से आशीष और उनके साथ आए 8 लोग ताजमहल में प्रवेश नहीं कर पाए| 

पर्यटक ने जताई नाराजगी, कहा - "हम आपने आराध्य का नामभी नहीं ले जा सकते?"

आशीष कुमार का कहना है कि यह उनके बेहद निराशाजनक अनुभव रहा| उन्होंने टिकट लेकर स्मारक के गेट पर एंट्री की तैयारी की थी, लेकिन सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि उनके बैग पर श्रीराम लिखा था| उन्होंने गेट पर खड़े अधिकारियों से सवाल किया "आखिर क्यों हम आपने भवन का नाम लिखा बैग लेकर अंदर नहीं जा सकते? क्या आपने ही देश में अपने आराध्य का नाम लिखना अपराध है?"

पर्यटक ने इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया, जो अब वायरल हो रहा है| 

योगी यूथ ब्रिगेड का ऐलान - "51 साधुओं के साथ जाएंगे ताजमहल" 

इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक रंग भी पकड़ लिया है| योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष ने घोषणा की है कि अगर CISF माफी नहीं मांगती और पर्यटक को प्रवेश नहीं दिया जाता, तो वे 51 साधु-संतों के साथ राम नाम लिखे दुपट्टे ओढ़कर ताजमहल के अंदर प्रवेश करेंगे| 

उनका कहना है 

"भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के देश में अगर सीता-राम का नाम नहीं चलेगा, तो क्या पाकिस्तान में चलेगा? ताजमहल तेजोमहालय है, यह भगवान शिव का मंदिर है, कोई मस्जिद नहीं|"

पुलिस से भी की गई शिकायत ( Today News Taajmahal ) 

आशीष कुमार ने घटना के बाद स्थानीय पुलिस से भी शिकायत दर्ज कराई| उन्होंने मांग की कि उनका टिकट का पैसा वापस किया जाए और CISF से स्पष्टीकरण लिया जाए| पुलिस अधिकारियों ने पर्यटक को जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ताजमहल के भीतर भी तरह का धार्मिक प्रतीक, प्रचार सामग्री या चिन्ह लेकर प्रवेश नहीं किया जा सकता| इसमें भगवान का नाम लिखा बैग, धार्मिक झंडे, पोस्टर, किताबें या अन्य सामग्री शामिल है| 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्यों? ( Today News Agra ) 

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि ताजमहल एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसका इस्तेमाल किसी भी तरह के धार्मिक प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता| यही कारण है कि 

. ताजमहल में धार्मिक चिन्ह वाले वस्त्र या सामग्री ने जाना प्रतिबंधित है| 

. यहां सिर्फ शुक्रवार और ईंद के दिन नमाज की अनुमति है, वह भी सीमित दायरे में| 

. पर्यटक केवल स्मारक को देखने जा सकते है, धार्मिक गतिविधियां करना या कराना नियम विरुद्ध है| 

कुछ समय पहले भी नमाज विवाद सामने आया था 

पिछले साल अक्टूबर में ताजमहल के अंदर नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आया था| यह वीडियो वायरल होते ही ASI ( भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ) ने जांच शुरू की थी| सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर रखा है कि ताजमहल के अंदर नमाज सिर्फ शुक्रवार और ईद पर ही पढ़ी जा सकती है| इसके बावजूद जब नमाज पढ़ी है तो प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठे थे|

विवाद ने पकड़ा तूल ( Daily News Agra ) 

अब श्रीराम लिखा बैग विवाद सामने आने के बाद एक बार फिर ताजमहल चर्चा में है| एक पक्ष का कहना है कि अगर नमाज पढ़ने वालों को रोक नहीं जाता तो हिन्दू प्रतीकों पर भी रो नहीं लगनी चाहिए| वहीं, प्रशासन का कहना है कि कोर्ट ने आदेश के मुताबिक उन्हें नियमों का पालन करना ही होगा| 

सोशल मीडिया पर गुस्सा ( Agra News Today ) 

यह मामला सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है| कई यूजर्स ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताया और ताजमहल के बहिष्कार की अपील की| वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नियम सबके लिए बराबर होने चाहिए| 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या था? 

सुप्रीम कोर्ट ने केवल यह आदेश दिया था कि ताजमहल में शुक्रवार की नमाज़ सिर्फ आगरा के स्थानीय मुस्लिम ही पढ़ सकते है, बाहर के लोगों को अनुमति नहीं होगी| यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2018 को आया था| 

. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी यह आदेश नहीं दिया कि कोई व्यक्ति "श्रीराम लिखा बैग" या कोई धार्मिक चिन्ह / वस्तु ताजमहल में लेकर नहीं जा सकता| 

. यह नियम ASI ( Archaeological Survey of India ) और CISF ( Central Industrial सिक्योरिट फोर्स ) की सुरक्षा गाइडलाइन के अंतर्गत आता है| वे केवल यह देखते है कि स्मारक में 

. कोई धार्मिक प्रचार / प्रदर्शन न हो 
. सुरक्षा को खतरा न हो 
. प्रतिबंधित वस्तुएं ( जैसे झंडा, बैनर,माइक,फूल,पूजा सामग्री, नुकीली चीजें आदि ) न ले जाए जाएं| 

1. सनातन धर्म समर्थक लोग 

. उनका कहना है कि यह सीधा-सीधा हिन्दू आस्था का अपमान है|
. "अगर ताजमहल में नमाज हो सकती है, तो "श्रीराम" लिखा बैग क्यों नहीं जा सकता?" 
. कई लोग इसे ताजमहल-तेजोमहलाय विवाद से भी जोड़ रहे है| 
. कुछ ने ट्वीट किया "अपने ही देश में भगवान राम का नाम लेकर घूमना अपराध कब से हो गया" 

2. नियमों का समर्थन करने वाले लोग 

. दूसरी तरफ कुछ लोग कह रहे है कि यह नियम सबके लिए बराबर होना चाहिए 
. अगर बैग पर राम नाम लिखा देखकर रोक गया, तो वैसे ही किसी दूसरे धर्म के प्रतीक पर भी रोक होनी चाहिए|
. उनका कहना है कि स्मारक को धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता, इसलिए CISF ने जी किया वह नियम अनुसार है| 

3. स्थानीय लोग ( आगरा के ) 

. स्थानीय लोगों का कहना है कि हर बार ताजमहल किसी विवाद में घसीटा जाता है, जिससे पर्यटक पर असर पड़ता है|
. उनका मानना है कि राजनीतिक संगठनों को इसे मुद्दा बनाने की बजाय पर्यटक और विकास पर ध्यान देना चाहिए|

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