वृंदावन, मथुरा - इस वर्ष की हरियाली तीज पर वृंदावन प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं को चार घंटे अधिक तक भगवान के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा| यह विशेष व्यवस्था 27 जुलाई 2025 को की जाएगी, जब मंदिर में अनुमानित 5 लाख श्रद्धालु पहुंच सकते है| हरियाली तीज के शुभ अवसर पर बांके बिहारी जी झूले में विराजमान होने, और यह झुला सोने-चांदी से बना होता है|
यह अवसर केबल एक बार पूरे में आता है जब ठाकुर जी को झूले में विराजमान किया जाता है| इस दिन मंदिर में आरती, दर्शन और झुला महोत्सव को देखने हजारों की संख्या में श्रद्धालु देशभर से पहुंचने है|
भगवान बांके बिहारी के विशेष दर्शन का कार्यक्रम
हरियाली तीज पर बांके बिहारी मंदिर के पट चार घंटे ज्यादा खुले रहेंगे| इस दिन मंदिर सुबह 6 बजे खुल जाएगा, और भगवान को जगमोहन में विराजमान कर विशेष श्रृंगार किया जाएगा|
. सुबह 6 बजे - पुजारी भगवान को झूले में विराजमान करेंगे
. सुबह 7:45 बजे - दर्शन आरंभ होंगे|
. दोपहर 2:00 बजे - दोपहर का सत्र बंद होगा| ( सामान्यत 12 बजे बंद होता है )
इसके बाद मंदिर दोपहर में साफ-सफाई और दोबारा श्रृंगार के बाद शाम के सत्र के लिए तैयार किया जाएगा|
. शाम 5:00 बजे - मंदिर के पट पुन: खुलेंगे ( सामान्यत: 5:30 बजे खुलते है )
. रात 10:55 बजे - शयन आरती होगी |
. रात 11:00 बजे - पट बंद हो जाएंगे|
इस प्रकार हरियाली तीज के दिन मंदिर में दर्शन का समय लगभग 17 घंटे तक होगा, जो कि सामान्य दिनों से करीब 4 घंटे अधिक है|
आरती समय में विशेष परिवर्तन
हरियाली तीज के दिन तीनों प्रमुख आरतियों के समयों में बदलाव किया गया है:
1 श्रृंगार आरती - सुबह 7:55 बजे ( यथावत )
2 राजभोग आरती - दोपहर 11:55 बजे की बजाय अब 1:55 बजे
3 शयन आरती - रात 9:25 बजे की बजाय अब 10:55 बजे
यह परिवर्तन इस विशेष दिन की भीड़ और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए किया गया है, ताकि अधिक श्रद्धालु भगवान के झुला दर्शन और आरती का लाभ ले सकें|
सोने-चांदी के झूले की दिव्य परंपरा
हरियाली तीज के दिन ठाकुर जी को सोने-चांदी से बने विशेष झूले में विराजमान किया जाता है| यह परंपरा 1947 से चली आ रही है| इससे पहले भगवान को लता-पत्तियों से बने झूले में झुलाया जाता था|
. इस झूले को बनवाने की पहल सेठ हारूगुलाल ने वर्ष 1942 में की थी|
. इसे बनाने में 5 वर्ष लगे और यह झुला 1947 में तैयार हुआ|
. यह झुला मंदिर के संग्रहालय में विशेष रूप से संरक्षित रहता है और केबल हरियाली तीज पर ही निकाला जाता है|
यह झुला न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भारतीय कला, शिल्प और भक्ति परंपरा का एक अनुपम उदाहरण है|
झूला दर्शन और भक्तों की संख्या
हरियाली तीज पर मंदिर में झुला उत्सव मनाया जाता है जिसमें ठाकुर जी को विशेष संगीत, फूलों और भजनों के साथ झुलाया जाता है|
. इस दिन श्रद्धालु दूर-दूर से आते है - विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन,आगरा,दिल्ली,राजस्थान और पश्चिम उत्तर प्रदेश से|
. अनुमान है कि इस बार करीब 5 लाख श्रद्धालु मंदिर पहुंच सकते है|
. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर परिसर में बैरिकेडिंग, CCTV, वॉलंटियर फोर्स और पुलिस की विशेष व्यवस्था की गई है|
. श्रद्धालुओं के लिए जल सेवा, प्राथमिक चिकित्सा, छांव और मोबाइल टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी लगाई जाएंगी|
हरियाली तीज और धार्मिक महत्व
हरियाली तीज श्रावण मास की शुल्क पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है| यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र होता है| सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उर्म और सुख-समृध्दी के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है|
बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज का विशेष स्थान है क्योंकि इस दिन भगवान स्वयं झूले में विराजते है और भक्तों को दर्शन देकर आशीवार्द प्रदान करते है|
मंदिर प्रशासन की विशेष अपील
बांके बिहारी मंदिर प्रशासन और मथुरा जिला प्रशासन की ओर से भक्तों से अपील की गई है कि वे:
. दर्शन के समय भीड़ को ध्यान में रखते हुए संयम और अनुशासन बनाए रखें|
. प्रशासन और सुरक्षा कर्मियों के निदेर्शों का पालन करें|
. छोटे बच्चों और बुजुगों को भीड़ में ले जाने से बचें|
. अपनी पानी की बोतल और आवश्यक दवाएं साथ रखें|