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चोरी के आरोपी को आगरा पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पेश किया |
चोरी का माल खरीदने वाला भी गिरफ्तार
डूंगर से पूछताछ के दौरान पुलिस को अहम सुराग मिले| उसने कबूला कि वह पिछले तीन से चार महीनों में राजस्थान बॉडर्र से सटे रूपबास और औलेण्डा क्षेत्र के कई गांवों से चोरी की घटनाओं को अंजाम दे चुका है| एक माह पूर्व उसने ग्राम औलेण्डा में रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक माखन में चोरी की थी| इसके अलावा लगभग तीन महीने पहले ग्राम जाजऊ में गांव के बाहरी हिस्से में स्थित एक घर से सोने-चांदी के आभूषणों और रु 55,000 नगद चोरी किए थे|
इस चोरी के सामन को डूंगर ने लड़ामदा गांव के पूर्व प्रधान नरेश को बेच दिया था| पुलिस को जब इस बात की जानकारी मिली, तो तत्काल कार्यवाही करते हुए नरेश को भी हिरासत में लिया गया| पुलिस ने उसकी निशानदेही पर चोरी का बड़ा हिस्सा बरामद कर लिया |
बरामद हुआ लाखों का चोरी का माल
पुलिस ने पूछताछ और तलाशी अभियान के दौरान जो सामान बरामद किया, उसमें शामिल है
1 जोड़ी झुमकी
6 अंगूठियां
1 जोड़ी झाले ( सभी पीली धातु के )
3 कंधनी
7 जोड़ी पायल
2 सिक्के
4 जोड़ी बिछिया
1 कमरबंद
इस सभी चीजों की अनुमानित कीमत लाखों में बताई जा रही है| पुलिस का कहना है कि इससे पहले भी डूंगर कई वारदातों में शामिल रहा है और चोरी के सामन को सस्ते दामों में नरेश को बेच देता था|
सस्ती कीमत पर खरीदता था चोरी का माल
पुलिस द्वारा पकड़े गए पूर्व प्रधान नरेश ने पूछताछ में बताया कि वह डूंगर को पिछले 15 वर्षों से जानता है| डूंगर लंबे समय से चोरी करता आ रहा है और चोरी का माल बेहद सस्ते दामों में बेच देता है| लालच में आकर नरेश चोरी का माल सस्ते दामों में खरीदता था और उसे राह चलते लोगों को बेच देता था जिससे उसे अच्छा खासा मुनाफ हो जाता था|
आसपास के गांवों में फैला था खौफ
फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से चोरी की वारदातें बढ़ती जा रही थी| ग्रामीणों में भय का माहौल था और लोगों ने कई बार पुलिस से शिकायत भी की थी| चोरी की घटनाओं में इस्तेमाल होने वाले हथियार और चालाकी ने पुलिस को भी चौका दिया था| ऐसे में पुलिस ने विशेष टीम का गठन कर जांच शुरू की थी|
मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने डूंगर को धर दबोचा और पूरे गिरोह की परतें खुलती चली गई| नरेश जैसे स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति की संलिप्तता ने इस पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया|
डीसीपी ने दी जानकारी
डीसीपी अतुल शर्मा ने प्रेम वार्ता में बताया कि फतेहपुर सीकरी थाना क्षेत्र के औलेण्डा गांव में 1 जुलाई को राजकुमार के घर पर चोरी की सूचना मिली थी| जांच में पता चला कि यह वारदात भी डूंगर ने की थी और चोरी के बाद सारा सामान नरेश को बेच दिया गया था|
डीसीपी ने बताया कि डूंगर की निशानदेही पर कई अन्य घटनाओं की भी जानकारी मिली है, जिनमें से अधिकतर राजस्थान बॉडर्र के पास के गांवों में हुई थी| पुलिस का आशंका है कि गिरोह में और भी सदस्य शामिल हो सकते है जिनकी तलाश की जा रही है|
पुलिस की बड़ी कामयाबी
आगरा पुलिस के लिए यह एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है क्योंकि चोरी की घटनाओं से क्षेत्र में लोगों का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा था| इस गिरफ्तारी से न केवल कई पुराने केस सुलझे है, बल्कि आने वाने समय में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी|
आमजन की राहत
इस गिरफ्तारी से क्षेत्रीय लोगों में राहत की सांस देखी गई है| लगातार हो रही चोरियों से परेशान लोग अब पुलिस की सक्रियता से संतुष्ट नगर आ रहे है| कई ग्रामीणों ने पुलिस को धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि आगे भी ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होती रहेगी|
डूंगर पर पहले कोई केस
हालांकि आरोपी डूंगर लंबे समय से चोरी करता आ रहा है, लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में अब तक कोई मामला दर्ज नहीं था| यह पहली बार है जब वह पुलिस के हत्थे चढ़ा है| पुलिस अब उसके आपराधिक इतिहास को खंगाल रही है, और अन्य मामलों से जोड़ने की भी कोशिश का रही है|
डूंगर अकेला था या गिरोह में शामिल?
1. कई गांवों में चोरी, अलग-अलग समय पर
पिछले 3-4 महीनों में राजस्थान बॉडर्र के आस-पास कई गांवों में चोरी की वारदातें हुई - औलेण्डा, जाजऊ, रूपबास आदि| इतनी बार-बार और अगल-अलग जगहों पर चोरी करना एक अकेले इंसान के लिए मुश्किल होता है| इससे साफ है कि या तो उसके साथ और लोग भी थे, या वह किसी छोटे गैंग का हिस्सा था|
2. चोरी के बाद माल सुनियोजित नेटवर्क
चोरी किए गए सामन को वह हमेशा पूर्व प्रधान नरेश को बेचता था, जो आगे उसे बाजार में या राह चलते लोगों को बेच देता था| इसका मतलब यह है कि चोरी के बाद भी एक व्यवस्थित बिक्री था - यह एक गैंग जैसा मॉडल है, जहां कोई चोरी करता है, कोई खरीदता है, कोई बेचता है |
3. अवैध हथियार और कारतूस की बरामदगी
उसके पास से तमंचा और कारतूस बरामद होना संकेत देता है कि वह सिर्फ सामान चुराने ही नहीं, बल्कि खुद को बचाने या धमकाने के लिए तैयार भी रहता था| आमतौर पर ऐसे हथियार गैंग या समूह में चलने वाले अपराधियों के पास होते है|
4. पुलिस की भाषा में "गिरोह" का संकेत
पुलिस ने कहा है कि "आरोपी से पूछताछ में कई चोरियों का खुलासा हुआ है" - यानी वह कई घटनाओं में शामिल रहा, संभव है कि कुछ में अकेला और कुछ में साथियों के साथ| पुलिस की जांच अभ भी जारी है, और आगे और लोगों के नाम सामने आ सकते है |
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