आगरा जूता बाजार में जश्न: जीएसटी 12% से घटकर 5% हुआ

आगरा का जूता उद्योग देश-दुनिया में पहचान रखता है| यहां के बने जूते न केवल भारत बल्कि विदेशों तक निर्यात किए जाते है| लंबे समय से जुटा कारोबारी और कारीगर लगातार यह मांग कर रहे थे कि फुटवियर पर लगने वाला जीएसटी ( GST ) कम किया जाए ताकि व्यापार को राहत मिल सके| आधिकार उनकी यह मांग पूरी हुई और केंद्र सरकार ने जूतों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया| इस फैसले के बाद आगरा के जूता बाजार से खुशी का माहौल देखने को मिला| 

आगरा जूता बाजार GST जश्न


आतिशबाजी और मिठाइयों के साथ जश्न 

निर्णय की घोषणा होते ही आगरा के जूता बाजार में जश्न का माहौल बन गया| व्यापारी और कारीगर सड़क पर उतरे, जमकर आतिशबाजी की और एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाकर अपनी खुशी जताई| जगह-जगह पर पटाखे फोड़े गए और इसे "व्यापार की बड़ी जीत" कहा गया| 

आगरा में जश्न कहाँ-कहाँ हुआ? 

जीएसटी 12% से घटाकर 5% होने की घोषणा के बाद आगरा के कई इलाकों में जूता कारोबारियों ने जश्न मनाया| 

. सदर बाजार : यह आगरा का सबसे बड़ा फुटवियर हब है| यहां व्यापारियों ने पटाखे फोड़े और मिठाई बांटी| 

. हींग की मंडी : जूता उद्योग से जुड़े कारीगरों ने यहां डोल-नगाड़ो के साथ खुशी जताई| 

. सैनिटरी बाजार और शाहगंज : स्थानीय दुकानदारों और कारोबारियों ने एक-दूसरे को बधाई दी| 

. फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स ( Foundries ) : कारखानों में काम करने वाले मजदूरों ने भी राहत की खबर सुनकर तालियां बजाकर खुशी मनाई|

. फेडरेशन कार्यकाय : यहां व्यापारी संगठनों ने एकत्र होकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आभार जताया| 

फेडरेशन का योगदान 

जूता उद्योग से जुड़े कारोबारी संगठनों ने लंबे समय से जीएसटी घटाने की मांग उठाई थी| फेडरेशन के अध्यक्ष विजय सामा ने कहा कि यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग से संभव हो सकी है| उन्होंने बताया कि 26 राज्यों ने एक एक साथ मिलकर जूतों पर जीएसटी घटाने की अपील की थी| इस फैसले से न केवल व्यापार बढ़ेगा बल्कि लाखों कारीगरों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे| 

कारोबारियों की प्रतिक्रिया 

जश्न में शामिल जूता व्यापारियों का कहना था कि जीएसटी घटने से ग्राहकों को सस्ते जूते मिलेंगे| इससे बिक्री बढ़ेगी और कारोबार में रौनक लौटेगी| 

एक व्यापारी ने कहा 

"लबे समय से मंडी का दौर चल रहा था, जीएसटी कम होने से अब उम्मीद है कि उत्पादन भी बढ़ेगा और हमें नया उत्साह मिलेगा|" 

कारीगरों के चेहरे पर मुस्कान 

जूता उद्योग केवल व्यापारियों का ही नहीं बल्कि लाखों कारीगरों की मेहनत पर टिका है| जब जीएसटी 12% था तो महंगे दामों के कारण जूतों की बिक्री कम हो गई थी| इसका सीधा असर मजदूरों और कारीगरों की आमदनी पर पड़ा| जब टैक्स घटने के बाद कारीगरों को उम्मीद है कि काम की मांग बढ़ेगी और उनकी रोजी-रोटी में स्थिरता आएगी| 

मंदी के दौर से उबरने की उम्मीद 

पिछले कुछ सालों से जूता कारोबार मंडी से से जूझ रहा था| कोविड-19 महामारी और महंगे कच्चे माल की वजह से उत्पादन में गिरावट आई| जीएसटी की ऊंची दर ने इस समस्या को और बढ़ा दिया था| लेकिन अब कारोबारियों को विश्वास है कि यह राहत उद्योग को फिर से पटरी पर लाएगी| 

राजनीतिक सहयोग 

फेडरेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस फैसले में प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का भी बड़ा योगदान रहा| उन्होंने व्यापारियों की आवाज सरकार तक पहुंचाई और राहत दिलाने में अहम भूमिका निभाई| 

स्थानीय बाजार की चहल-पहल 

निर्णय के बाद आगरा के बाजारों में रौनक लौट आई| व्यापारी दुकानों पर ग्राहकों से बातचीत करते दिखाई दिए| कई दुकानदारों ने जीएसटी घटने के तुरंत बाद छूट की घोषणाएं भी की| ग्राहकों को भरोसा दिलाया गया कि आने वाले दिनों में जूतों के दाम कम होंगे| 

जूता उद्योग का आर्थिक महत्व 

. आगरा में करीब 5 लाख से ज्यादा लोग जूता उद्योग से सीधे-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है|
. यहां से हर साल करोड़ों रूपये के जुट विदेशों में निर्यात होते है|
. जूता उद्योग आगरा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है|

जीएसटी घटने से न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा आसान होगी| 

भविष्य की उम्मीदें 

व्यापारियों का मानना है कि जीएसटी घटने से उत्पादन में बढ़ोतरी होगी| साथ ही युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर पैसा होंगे| कई छोटे व्यापारी जो मंदी के कारण व्यवसाय बंद करने पर मजबूर हो रहे थे, अब फिर से कारोबार में टिक पाएंगे| 

विदेश व्यापार में जूता उद्योग और टैक्स 

आगरा का जूता उद्योग केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी पहुंच यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों तक है| हर साल यहां से करोड़ों रूपये के जुट विदेशों में निर्यात किए जाते है| लेकिन अंतरराष्ट्रीय व्यापार में टैक्स का बड़ा असर पड़ता है| 

भारत में आयात पर टैक्स 

अगर चीन, वियतनाम या बांग्लादेश से जूते भारत में आते है तो उन पर भारी टैक्स लगता है| 

. कस्टम ड्यूटी: लगभग 10% से 20% तक| 
. IGST ( Intergrated ): 5% या 12% 
. सोशल वेलफेयर सरचार्ज: कस्टम ड्यूटी पर 10% अतिरिक्त| 

सरकार ऐसा इसलिए करती है ताकि विदेश से आने वाले सस्ते जूतों की बाढ़ न आए और आगरा जैसे शहरों का स्थानीय उद्योग सुरक्षित रहे| 

भारत से निर्यात पर टैक्स 

अगर आगरा से जूते विदेश भेजे जाते है तो उन पर कोई GST या Export Duty नहीं लगता| 

. Export को सरकार Zero-Rated Supply मानती है| 
. निर्यातक ( Exporter ) की Input Tax Credit ITC ) का रिफंड मिलता है| 
. RoDTEP और Duty Drawback जैसे योजनाओं से कारोबारियों को अतिरिक्त लाभ भी मिलता है| 

इसका फायदा यह है कि आगरा के जूते विदेश में सस्ते और प्रतिस्पर्धी रहते है| 

विदेशों में Import Duty 

जब भारतीय जूते विदेश पहुंचते है तो वहां की सरकारें Import Duty लगाती है| 

. अमेरिका ( USA ) : 10% से 20% ड्यूटी 
. यूरोप ( EU ) : 8% से 17% ड्यूटी 
. गल्फ देश ( UAE, Saudi Arabia ) : लगभग 5% ड्यूटी 

फिर भी आगरा के जूतों की क्वालिटी और डिजाइन इतनी मजबूत है कि वहां की मार्केट में इनकी मांग लागतार बनी रहती है| 

जूते पर जीएसटी घटाकर 5% करने का निर्णय आगरा ही नहीं बल्कि पूरे देश के जूता उद्योग के लिए ऐतिहासिक है| इस फैसले से न केवल ग्राहकों को सस्ते जूते मिलेंगे बल्कि लाखों कारीगरों और व्यापारियों को नई ऊर्जा मिलेगी| आतिशबाजी और मिठाइयों से साथ मनाया गया वह जश्न आगरा के जूता बाजार की खुशहाली का प्रतीक है| आने वाले समय में उम्मीद है कि यह कदम उद्योग को और मजबूती देगा और भारत को अंतरराष्ट्रीय फुटवियर बाजार में नई पहचान दिलाएगा| 

Sita Sharma

स्वतंत्र लेखिका और ब्लॉगर लोकल न्यूज, मौसम अपडेट और ट्रेडिंग खबरों पर लिखना पसंद करती हैं

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