प्रस्तावना: आगरा न्यूज डेली
आगरा में यमुना का जलस्तर भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा हो, लेकिन बाढ़ का असर अब भी कम नहीं हुआ है| नदी के किनारे बसे कई श्मशान घाट अब भी पानी में डूबे हुए है| बल्केश्वर, ताजगंज और मलका चबूतरा जैसे प्रमुख घाटों पर अंतिम संस्कार असंभव हो गया है| ऐसी स्थिति में शहर के बीचों-बीच स्थित राजा हरिश्चंद्र मोक्ष धाम ही एकमात्र विकल्प बचा है, जहां सुबह से देर रात तक शवदाह के लिए परिजनों की लंबी कतारें देखी जा रही है|
यमुना का जलस्तर और बाढ़ की स्थिति
सितंबर 2025 के पहले सप्ताह में लगातार हुई बारिश और ऊपर के जिलों से छोटे गए पानी के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ गया| बाढ़ का पानी निचले इलाकों में भर गया और कई श्मशान घाट जलमग्न हो गए| प्रशासन ने चेतावनी जारी की और लोगों से नदी के पास न जाने की अपील की|
हालांकि पिछले दो दिनों से पानी का बहाव थोड़ा कम हुआ है लेकिन घाटों पर अब भी पानी भरा हुआ है| सफाई और मरमत का कम शुरू हो गया है, मगर शवदाह की अनुमति तभी मिलेगी जा स्थान पूरी तरह सुख जाएगा|
प्रभावित श्मशान घाट
. बल्केश्वर घाट: शहर का एक प्रमुख अंतिम संस्कार स्थल, जहां रोजाना कई अंतिम संस्कार होते है| फिलहाल यहां 3 से 4 फीट पानी जमा है|
. ताजगंज मुक्ति धाम: सबसे बड़े घाटों में से एक, लेकिन बाढ़ के कारण यह भी बंद है|
. मलका चौतारा व अन्य छोटे घाट: अधिकांश घाटों तक पहुंचाने का रस भी पानी में डूबा है|
इन स्थानों के बंद होने से परिजनों को शवदाह के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है|
राजा हरिश्चंद्र मोक्ष धाम बना सहारा
शहर के बीच स्थित 300 साल पुराने राज हरिश्चंद्र मोक्ष धाम पर इन दिनों शवदाह का पूरा भार आ गया है| यहां परंपरागत रूप से लकड़ी से चिता सजाकर अंतिम संस्कार किया जाता है|
स्थानीय समिति के सदस्य नरेंद्र कुमार आर्य के अनुसार," यमुना किनारे के सभी घाट बंद है| प्रतिदिन सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक लोग यहां अंतिम संस्कार के लिए आते है| सामान्य दिनों में जहां चार-पांच शव आते थे, अब यह संख्या 20 से 25 तक पहुंच रही है|"
व्यवस्थाओं पर दबाव
अचानक बढ़ी भीड़ के कारण यहां लकड़ी, पानी और कर्मकांड सामग्री की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ रही है| श्रमिकों को भी ड्यूटी बढ़ानी पड़ी है| कई बार परिजनों को अपने क्रम का इतंजार करना पड़ रहा है| प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए घाट पर सुरक्षा कर्मी और सफाई कर्मचारी तैनात किए है|
स्थानीय लोगों की राय
जीवनी मंडी निवासी एक व्यक्ति ने बताया,"आमतौर पर हम बल्केश्वर घाट या ताजगंज मुक्ति धाम जाते थे| लेकिन वहां पानी भरने से अब मजबूरन राजा हरिश्चंद्र मोक्ष धाम आना पड़ रहा है| भीड़ बहुत है, पर यही एक सुरक्षित विकल्प है|"
प्रशासनीय प्रयास
नगर निगम और जिला प्रशासन की टीमें लगातार हालात पर नगर रख रही है| जलस्तर सामान्य होते ही प्रभावित घाटों की सफाई और मरम्मत शुरू करने की योजना है| अधिकारियों ने बताया कि सभी घाटों को जल्द खोलने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तब तक नागरिकों से संयम बरतने की अपील की गई है|
सुरक्षा और स्वच्छता
बढ़ते दबाव को देखते हुए समिति ने परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए है| शवदाह के बाद राख का उचित निपटान सुनिश्चित किया जा रहा है| भीड़ नियंत्रण के लिए नंबरिंग प्रणाली लागू की गई है ताकि परिजन अपने नंबर के तरीके से अपनी बारी का इंतजार कर सकें|
बाढ़ से मिली सीख
यह घटना बताती है कि प्राकृतिक आपदाओं का असर केवल जीवन पर ही नहीं, बल्कि परंपराओं और व्यवस्थाओं पर भी पड़ता है| शहर के लिए जरूरी है कि शवदाह स्थलों के लिए वैकल्पिक योजनाएं तैयार की जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति आने पर नागरिकों को असुविधा न हो|
आगरा में यमुना बाढ़ ने एक बार फिर दिखा दिया कि आपदा के समय सामाजिक ढांचे पर कितना दवाब पड़ता है| श्मशान घाटों के डूबने से अंतिम संस्कार जैसी संवेदनशील प्रकिया भी बाधित हो जाती है| ऐसे में राजा हरिश्चंद मोक्ष धाम शहरवासियों के लिए राहत का केंद्र बनकर उभरा है| प्रशासन और स्थानीय समितियों के सहयोग से हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे है|
