नई दिल्ली- सरकार ने आगामी जनगणना मै जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है| यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता मै आयोजित कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक मै लिया गया| इसकी पुष्टि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 अप्रैल 2025 की प्रेस कॉन्फेंस मै की|
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अब होगी हर जाती की गिनती अश्वनी वैष्णव |
क्यों है यह फैसला अहम ?
1931 के बाद पहली बार भारत की राष्ट्रीय जनगणना मै सभी जातियों से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे| इससे पहले, जनगणना मै केवल अनुसूचित जाति (SC ) और अनुसूचित जनजाति (SC ) के बारे मै ही जानकारी एकत्र की जाती थी | इस बदलाव से न केवल जाती आधारित आंकड़े उपलब्ध होंगे, बल्कि इससे संसाधनों का वितरण, आरक्षण नीति और सामाजिक न्याय की योजनाओं मै भी सुधार होगा|
क्या बदल सकता है भविष्य मै ?
आने वाली जनगणना मै जाती आधारित आंकड़े के शामिल होने से, भारत की सामाजिक और राजनीतिक संरचना मै नए बदलाव देखने को मिल सकते है| कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नीति निमार्ण मै ज्यादा पारदर्शिता और समावेशिता आएगी, क्योंकि सरकार के पास जातिगत आंकड़े होने से उसे अपनी योजनाओं को और अधिक न्यायपूर्ण तरीके से लागू करने का मौका मिलेगा|
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा,"जातिगत गणना को मुख्य जनगणना मै शामिल करने से अधिक विश्वनीय और वैज्ञानिक आंकड़े प्रात होंगे,जो बेहतर नीति निमार्ण मै सहायक होंगे| यह कदम पारदर्शिता को सुनिश्चित करेगा, जिससे योजनाओं का लाभ सही वर्गों तक पहुंचेगा|
राजनीतिक परिपेक्ष्य
यह फैसला राजनीति मै भी एक नया मोड ल सकता है| बिहार जैसे राज्यों ने पहले ही जातिगत सर्वेक्षण किए है, और अब केंद्र सरकार के नेतृत्व मै इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा| इससे राज्य और केंद्र सरकार के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों के नए रस्ते खुल सकते है|
इसके अलावा, राजनीतिक दल इस फैसले का उपयोग आपने चुनावी रणनीतियां मै भी कर सकते है, क्योंकि जातिगत आंकड़ों के आधार पर चुनावी मुद्दे उठाए जा सकते है| जातिवाद पर आधारित नीति और योजनाओं को अधिक सटीक तरीके से लागू किया जा सकता है|
आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर प्रभाव
जातिगत आंकड़ों के एकत्रित होने से सामाजिक और आर्थिक नीतियों मै पारदर्शिता आएगी| इससे सरकार को यह समझने मै मदद मिलेगी कि कौन सी जातियां अभी भी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई है, और उनके लिए कौन सी योजनाएं अधिक प्रभावी हो सकती है इसका असर आरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी योजनाओं पर होगा, जो पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचाने का काम करती है|
निष्कर्ष
भारत के आगामी जनगणना 2025 मै जातिगत गणना का शामिल होना एक ऐतिहासिक कदम है, जिसका दूरगामी प्रभाव सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों मै पड़ेगा| यह कदम सरकार की सामाजिक न्याय और समावेशन की ओर बढ़ाए गए महत्वपूर्ण कदमों मै से एक है, जो भारतीय समाज मै समानता और अवसरों के समान वितरण की दिशा मै बड़ा बदलाव ल सकता है|
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